Story Submitted by: Angel Kumari from Jharkhand
ट्रेनिंग के बाद अब मेरे पास जो भी केसेस आते है, उन्हें मैं संवैधानिक नज़र से देखती हूँ, कि दोनों पक्षों के कौन कौन से अधिकारों का हनन हो रहा है या कार्यवाही नहीं हुई तो होगा। पहले जब अधिकारिओं के साथ मीटिंग होती थी तो उनकी बातों को समझना मुश्किल होता था, लेकिन अब मैं समझ पाती हूँ की वो किस नज़रिये से बोल रहे है और लोगो के अधिकारों की बात और बेहतर तरीके से कर पाती हूँ। मैंने अपनी फील्ड के सेशंस में भी संविधान के बारे में बनी सीख को आगे बढ़ाया है।
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