सवाईं माधोपुर, राजस्थान के रहने वाले जगदीश कोहली ने लड़कियों की शिक्षा खास तौर पे किशोर लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रयास करते हुए एक दशक से अधिक का समय बिताया है। वो ग्रामीण शिक्षा केंद्र में काम करते हैं। यहाँ काम करने के साथ-साथ वो लोगों से अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए भी बात करते रहते हैं।
पिछले दो सालों से जगदीश उमंग प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं जहाँ लड़कियों को कंप्यूटर सिखाने के अलावा कई और जरूरी स्किल भी सिखाई जाती है। उमंग में काम करते हुए ही वी द पीपल अभियान के साथ 2023 में उन्होंने संविधान से समाधान प्रशिक्षण में भाग लिया। जगदीश के लिए यह प्रशिक्षण संवैधानिक मूल्यों खास तौर से समानता जैसे मूल्यों को जानने और याद रखने में मददगार साबित हुआ।
कई सालों से जगदीश बेटियों की शिक्षा से जुड़ी चिंताओं और डर के बारे में परिवारों से बात कर रहे हैं। इससे लोगों में विश्वास बढ़ा है। लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करने के अवसर बढ़े हैं। यह खास तौर पर 9वीं और 10वीं कक्षा की लड़कियों के लिए ज्यादा जरूरी था क्योंकि जगदीश ने देखा कि इस उम्र में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर/रेट/संख्या बहुत ज़्यादा है। सुरक्षा की चिंता, खेती के काम में शामिल होना, घर के कामों की ज़िम्मेदारी, युवावस्था की शुरुआत ये सब इसके कुछ प्रमुख कारण हैं। कुंडेरा के एक मामले से यह मुद्दा सामने आया। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद चार लड़कियों ने 9वीं कक्षा में पहुँचते ही स्कूल छोड़ दिया। इस मामले को समझने के लिए जगदीश ने उनके घर जाकर परिवारों से बात की और जाना कि माता-पिता उन्हें वापस स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थे- उनका कहना था कि बेटियाँ इतनी दूर स्कूल जाने के लिए जोखिम उठाने के बजाय घर पर या खेतों में काम करके ही बेहतर हैं।
उनकी सोच को बदलने के लिए जगदीश ने परिवारों से बात की, उनसे अपने बेटी और बेटे दोनों को बराबर मौका देने के लिए कहा, उन्हें दूसरे रास्ते भी समझाए जिससे लड़कियाँ अपनी पढ़ाई जारी रख सकती थीं। इनमें से एक रास्ता उमंग में एक ब्रिज कोर्स या ओपन स्कूलिंग के माध्यम से आगे की कक्षाओं में अपनी शिक्षा को अधिक सुविधाजनक तरीके से जारी रखना था। उन परिवारों को मनाने और लड़कियों को वापस स्कूल भेजने के लिए जगदीश को कई बार अपनी टीम लेकर उनसे मिलना पड़ा। वो लगातार कोशिश करते रहे।
यह एक बहुत जरूरी और कठिन विषय था जिसे जगदीश ने बड़ी सावधानी से संभाला।
गाँव के लोगों से बातचीत के दौरान जगदीश शिक्षा पर काम करते हुए समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हैं। उनकी कहानी लगातार कोशिश करने की प्रेरणा देती है। जगदीश ने हमें विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने और अपने विश्वास के अनुसार काम करते रहने की शक्ति दिखाई है। आज जगदीश की इतनी कोशिशों की बदौलत सवाईं माधोपुर में कई और लड़कियाँ स्कूल में पढ़ रही हैं और अपनी शिक्षा जारी रख रही हैं।
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